Sunday, May 16, 2010

आपसी सहमति से सेक्स किया फिर भी पुरुष को बना दिया बलात्कारी


एक ऐसी घटना की चर्चा आप सभी के साथ करना चाहेंगे और आपके विचार मुख्य रूप से जानना चाहेंगे कि इस तरह की घटना के बाद क्यों महिलावादी संगठन और नारीवादी समर्थक शान्त रह जाते हैं?

घटना के पहले शहर, लड़के और लड़की के नामों आदि के साथ-साथ किसी प्रकार के परिचय देने जैसी स्थितियों का खुलासा नहीं किया जायेगा। कृपया इसे अन्यथा न लें, यह लड़का और लड़की के आने वाले समय को देखते हुए किया जा रहा है।

चित्र गूगल छवियों से

घटना कुछ इस प्रकार है कि एक लड़का और एक लड़की में बहुत दिनों से नैन-मटक्का चल रहा था। दोनों ओर से प्यार की कसमें शादी के वादे जैसी कोई बात नहीं थी। बस दोनों मिलकर आपसी समझ से शरीर की नैसर्गिक माँग की पूर्ति कर लिया करते थे। इस माँग और आपूर्ति के सिद्धान्त में दोनों की सहमति थी, किसी के साथ कोई जबरदस्ती नहीं, कोई तनाव नहीं।

दोनों के बीच यह सब पिछले लगभग 8-9 माह से चल रहा था। इस दौरान दोनों की आपसी समझ के कारण कभी भी लड़की के सामने अविवाहित मातृत्व जैसी कोई समस्या भी नहीं आई। दोनों ही पढ़े लिखे थे और दुनिया की अच्छाई-बुराई का ध्यान रखकर सुरक्षा संसाधनों का प्रयोग कर अपनी-अपनी माँग की पूर्ति कर लिया करते थे।

इस हेतु उनके स्थान चयन का भी तरीका एकदम सुरक्षित था। इतनी सारी सुरक्षा के बाद भी पिछले सप्ताह ऐसा हुआ कि दोनों अपने सुख की चरमावस्था में पकड़ लिये गये। हालांकि पकड़ पुलिस आदि से नहीं हुई, बस कुछ जानकार लोगों ने, कुछ परिचितों ने उन्हें पकड़ लिया।

आपसी सहमति और आपसी समन्वय ठीक इसी बिन्दु पर आकर समाप्त होता दिखा। पकड़े जाने पर जैसा और जो भी भय लड़की को दिखा हो उसने तुरन्त उस लड़के के ऊपर आरोप जड़ते हुए उसे बलात्कारी घोषित कर दिया। लड़के ने अपनी सफाई में बहुत कुछ कहा किन्तु उस समय कुछ भी नहीं सुना गया। चूँकि बात दोनों ओर से परिचितों की थी, इस कारण से मामले को रफादफा करवाना भी उनके लिए आवश्यक था।

मामले को दबाने और निबटाने की नीयत थी तो कुछ लोगों ने लड़के की ओर से भी उसका पक्ष रखा। इन कुछ लोगों ने बस एक बिन्दु के सहारे लड़के की जान बचाई कि यदि लड़का लडकी के साथ बलात्कार कर रहा होता तो कंडोम लगाकर और दोनों पूरी तरह से निर्वस्त्र होकर चरम क्षणों में लिप्त न पाये गये होते।

दोनों की स्थिति और उस समय के हालात देखकर उन लोगों ने जो कुछ सोचा-विचारी की और उस लड़के को छोड़ दिया। दोनों की विद्रूपता का आलम देखिये कि दोनों महानुभाव अभी भी इस माँग और पूर्ति के सिद्धान्त में लिप्त हैं।

घटना के देने के पीछे का कारण सिर्फ इतना जानना है कि यदि उन दोनों को पकड़े जाने वालों ने उस समय के हालात और परिस्थितयों को, लड़के और लड़की की शारीरिक अवस्था को, उनके सुरक्षा सम्बन्धी उपायों को नहीं देखा-समझा होता तो लड़के को बलात्कारी बनाने में कोई कसर तो रह नहीं गई थी।

महिला सर्मथक बतायें कि ऐसी स्थिति में कोई भी पुरुष घिर जाये तो क्या करे, जबकि शारीरिक सम्बन्ध दोनों की आपसी सहमति से बनते रहे हों?

3 comments:

दिनेश शर्मा said...

आपने सही बात को उठाया है तथा यह भी यहां विचारणीय है कि संबंध दोनों की सहमति से बने थे। फिर भी सभी जानते हैं कि कहने से कुछ नहीं होता और जो आजकल समाज में हो रहा है उससे सभी परिचित हैं। वास्तविकता में जरुरत है समाज में पनप रहे इस प्रकार के सबंधों पर विचार करने की और इससे प्राप्त परिणामों से डरने की। समाधान करने की।

Unknown said...

That's true

घनानंद said...

बिलकुल सही कहा आपने...सहमत हूँ...